हम्म..
कैसे जियूँगा कैसे बता दे मुझको
तेरे बिना..
कैसे जियूँगा कैसे बता दे मुझको
तेरे बिना..
तेरा मेरा जो हो ले चलूँ मैं वहाँ
कोई तुझको न मुझसे चुरा ले
रख लूँ आँखों में मैं
खोलूं पलकें न मैं
कोई तुझको न मुझसे चुरा ले
मैं अंधेरों से घिरा हूँ..
आ दिखा दे तू मुझको सवेरा मेरा
मैं भटकता एक मुसाफिर
आ दिल दे तू मुझको बसेरा मेरा..
Writer:- Mr.Moinkhan
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